महेंद्र भट्ट की ताजपोशी के बाद सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट पर लगा विराम, उत्तराखंड में पुराने फॉमूले पर ही चलेगी बीजेपी

देहरादून: पार्टी हाईकमान ने दूसरी बार उत्तराखंड बीजेपी की कमान महेंद्र भट्ट को सौंपी है. मंगलवार एक जुलाई को महेंद्र भट्ट को उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. महेंद्र भट्ट की ताजपोशी के साथ ही उत्तराखंड में चल रही सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट पर भी विराम लग गया है.
दरअसल, उत्तराखंड की राजनीति में क्षेत्रवाद और जातिवाद का समीकरण हमेशा से ही हावी भी रहा है. ऐसे में महेंद्र भट्ट के दोबारा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद एक बार फिर राजनीतिक क्षेत्रवाद और जातिवाद का समीकरण पूरा हो रहा है. उत्तराखंड की राजनीति अन्य राज्यों की राजनीति से भिन्न है. क्योंकि प्रदेश की राजनीति यहां की भौगोलिक परिस्थितियों के साथ ही जातिवाद, क्षेत्रवाद भी पूरी तरह से हावी है.
हालांकि, इस राजनीतिक समीकरण से जनता पर कोई खास असर नहीं पड़ता है, लेकिन राजनीति में इसकी बड़ी ही महत्वपूर्ण भूमिका है. क्योंकि सरकार और संगठन इन समीकरण को हमेशा से ही साधते आए हैं, ताकि गढ़वाल और कुमाऊं के साथ ही ब्राह्मण और ठाकुर के समीकरण को संतुलित रखा जा सके. इस बार बीजेपी उसी समीकरण को ध्यान में रखते हुए महेंद्र भट्ट को दोबारा से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनाया है.
भाजपा आलाकमान के इस निर्णय से यह तो साफ हो गया है कि भाजपा नेतृत्व उत्तराखंड के प्रदेश संगठन और सरकार से खुश है. यही वजह है कि फिलहाल भाजपा आलाकमान कोई भी परिवर्तन नहीं करना चाहता है. इस पूरे मामले पर वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत ने कहा कि महेंद्र भट्ट का दोबारा से बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बनना ये दर्शाता है कि आलाकमान संगठन में कोई बदलाव नहीं चाहता है. भाजपा आलाकमान का यह निर्णय इस बात को दर्शाता है कि वह सरकार और संगठन के काम से संतुष्ट है.
बीजेपी में ये फॉर्मूला पहले से हैं कि मुख्यमंत्री कुमाऊं के होंगे तो भाजपा प्रदेश अध्यक्ष गढ़वाल के होंगे. यदि सीएम गढ़वाल से होगा तो प्रदेश अध्यक्ष कुमाऊं का होगा. इसी तरह अगर मुख्यमंत्री ठाकुर हैं तो प्रदेश अध्यक्ष ब्राह्मण होंगे. मुख्यमंत्री ब्राह्मण हैं तो प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर होंगे. उत्तराखंड के बाद से ही चाहे बीजेपी हो या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों ने इस फार्मूले को बरकरार रखा है.
वर्तमान समय में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष गढ़वाल के ब्राह्मण और मुख्यमंत्री कुमाऊं के ठाकुर हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि फिलहाल सरकार में भी नेतृत्व परिवर्तन नहीं होगा. अभी तक चर्चाएं चल रही थी कि मंत्रिमंडल में मंत्रियों के कई पद खाली हैं और अधिकांश विभाग मुख्यमंत्री की झोली में हैं. बावजूद इसके मंत्रिमंडल विस्तार की अनुमति नहीं दी जा रही थी, जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में यह चर्चाएं चल रही थी कि भाजपा आलाकमान नेतृत्व परिवर्तन करना चाह रहा हो, जिसके चलते मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पा रहे हैं.
साथ ही कहा कि बीजेपी का शुरू से ही ये ट्रेंड रहा है कि विरोधी लहर (Anti Incumbency) से बचने के लिए कार्यकाल पूरा होने के कुछ समय पहले ही मुख्यमंत्री बदल दिए जाते रहे हैं. हालांकि आगामी साल 2026 में क्या होगा? इसका अनुमान अभी से लगाना बहुत मुश्किल है. फिलहाल जो समीकरण बन रहे हैं, उससे ये दिखाई दे रहा है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कुर्सी पर कोई खतरा नहीं है.
अगर आगामी साल 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ता परिवर्तन होता है तो फिर कुमाऊं से ही किसी ठाकुर चेहरे को प्रदेश की कमान देनी पड़ेगी. बहरहाल अभी तक मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए जिन लोगों के नाम की चर्चाएं थी, वो सभी लोग ब्राह्मण चेहरे थे, लेकिन अब वह समीकरण पूरी तरह से बदल गया है.
वहीं महेंद्र भट्ट के चुनाव को लेकर बीजेपी सांसद अनिल बलूनी का कहना है कि जिस तरह के चुनाव बीजेपी संगठन में होते हैं, उस तरह की प्रक्रिया कहीं नहीं अपनाई जाती है.
वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह ने कहा कि महेंद्र भट्ट के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद सभी चुनाव में जीत मिली है और संगठन का विस्तार हुआ है. महेंद्र भट्ट का एक सामाजिक कार्यकर्ता से लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष तक का एक लंबा राजनीतिक सफर है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए सबको साथ में लेकर संगठन को गति देने में इनका बहुत बड़ा योगदान है.