उत्तराखंड की सबसे युवा ग्राम प्रधान प्रियंका नेगी को सीएम धामी ने किया फोन, जीत की दी बधाई

देहरादून: उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में इस बार गांव की कमान ग्रामीणों ने युवाओं के हाथों में सौंपी है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जिस गांव को गोद ले रखा है, उस गांव के ग्रामीणों ने 21 वर्षीय प्रियंका नेगी पर भरोसा जताते हुए अपना ग्राम प्रधान चुना है. आदर्श ग्राम सारकोट की प्रधान बनने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को प्रियंका नेगी से फोन पर बातचीत कर बधाई और शुभकामनाएं दी हैं.
सीएम धामी ने कहा कि आदर्श ग्राम सारकोट को बहुत अच्छा ग्राम बनाना है. यही नहीं, सीएम धामी ने फोन पर बातचीत करते हुए प्रियंका नेगी को देहरादून आकर मुलाकात करने का निमंत्रण भी दिया. सीएम ने कहा कि आदर्श ग्राम सारकोट को उत्तराखंड के एक मॉडल गांव के रूप में चुना है.
ऐसे में सरकार की मंशा है कि आदर्श ग्राम सारकोट की तरह ही उत्तराखंड के सभी गांव बनें. इसके लिए सभी जिलों के सीडीओ या उनके कोई अधिकारी दो-दो दिन के लिए आदर्श ग्राम सारकोट को देखने जाएंगे. सीएम ने प्रियंका से कहा कि गांव में अधिकतर काम हो गए हैं. ऐसे में जो काम छूटे हुए हैं, उनको भी आगे पूरा करना है. साथ ही लोगों को रोजगार, स्वरोजगार से जोड़ना है और माताओं बहनों के कामों को भी आगे बढ़ाना है.
वहीं, सीएम ने कहा कि प्रियंका नेगी, आदर्श ग्राम सारकोट की प्रधान बनी हैं. इसी तरह सामान्य स्थितियों और परिस्थितियों में रहने वाले तमाम युवाओं पर ग्रामीणों ने भरोसा जताया है. ऐसे में इन सभी जनप्रतिनिधियों से जनता की अपेक्षा है कि वो जनता के लिए काम करें.
सीएम ने कहा कि युवाओं का इस पद पर निर्वाचित होना न केवल सशक्त लोकतंत्र को दर्शाता है, बल्कि मातृ शक्ति की शक्ति और युवाओं की क्षमता का भी प्रतीक है. साथ ही कहा कि हम साथ मिलकर सारकोट गांव का सर्वांगीण विकास व प्रगति सुनिश्चित करेंगे और आदर्श ग्राम सारकोट की ही तर्ज पर राज्य के अन्य गांवों का भी विकास किया जाएगा.
सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान हैं प्रियंका नेगी: बता दें कि प्रियंका नेगी इस चुनाव में सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बनी हैं. प्रियंका नेगी का गांव सारकोट चमोली जिले के गैरसैंण विकासखंड में आता है. उनका गांव भराड़ीसैंण विधानसभा भवन के पास है. प्रियंका से पहले दो बार उनके पिता भी ग्राम प्रधान रह चुके हैं. इस बार सारकोट की सीट महिला आरक्षित थी. इसीलिए प्रियंका नेगी ने चुनाव लड़ने का फैसला लिया और ग्रामीणों ने भी उन पर पूरा भरोसा जताया है.