20 June 2025

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने जन्मदिन पर देहरादून में हुईं भावुक, बहने लगे आंसू, जानिए क्यों?

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देहरादून: देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तीन दिवसीय उत्तराखंड दौरे पर हैं. आज 20 मई को द्रौपदी मुर्मू का जन्मदिन भी है. इस मौके पर देहरादून में कई कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया है. तभी एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अचानक से भावुक हो गईं और उनके आंसू निकल आए.

दरअसल, शुक्रवार 20 मई को राजधानी देहरादून में NIEPVD (National Institute for the Empowerment of Persons with Visual Disabilities) के अंदर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. इस मौके पर NIEPVD के बच्चों ने राष्ट्रपति के सामने गाना किया, तभी अचानक से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भावुक हो गईं और वो अपने आंसुओं को रोक नहीं पाईं.

देहरादून NIEPVD में बच्चों ने आमिर खान की फिल्म तारे जमीं पर का गाना गया तो राष्ट्रपति के साथ-साथ मंच पर बैठे सभी लोग मंत्र मुग्ध हो गए थे. गाने के अंत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की आंखों से आंसू बहने लगे. लेकिन जैसे ही बच्चों ने अगले ही पल राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई देते हुए एक प्रस्तुति दी, तो राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने आप को रोक नहीं पाईं और मंच पर वो रोने लगीं.

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भावुक होते देख पीछे खड़े सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रूमाल दिया. दिव्यांग बच्चों का कार्यक्रम देखकर न सिर्फ राष्ट्रपति, बल्कि मंच पर मौजूद केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार और राज्यपाल गुरमीत सिंह भी भावुक हो गए थे. यह सभी वो बच्चे हैं, जो ठीक से देख नहीं पाते हैं. राष्ट्रपति ने उनकी आंखों पर चश्मा लगाकर उन्हें सम्मानित भी किया.

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि वह इन बच्चों की प्रतिभा को देखकर बेहद प्रभावित हैं.

हम जिस तरह से दिव्यांगजनों के लिए काम कर रहे हैंइसका जीता जागता उदाहरण देहरादून में देखने के लिए मिलता है. मैं अपने जन्मदिन के मौके पर यहां पर आकर बेहद खुश हूं. जब मैं बच्चों को गाते हुए देख रही थीतो मेरे आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे. यह बच्चे गले से नहीं हृदय से गा रहे थे. मुझे लगता है कि सरस्वती उनके गले में बैठी है. कहा जाता है कि भगवान किसी के अंग में अगर कोई कमी देता हैतो उसे एक ऐसी प्रतिभा दे देता हैजो लोगों से उसे अलग बनाती है.

द्रौपदी मुर्मूराष्ट्रपति-

वहीं, राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में दिव्यांगजनों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता है उससे पता चलता है कि वो देश या समाज किस तरह प्रगति कर रहा है. भारत की संस्कृति में संवेदनशीलता के प्रसंग भरे पड़े हैं. देश की सभ्यता में करुणा और प्रेम अग्रणी रहा है. राष्ट्रपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दिव्यांग बच्चों को अन्य बच्चों के समान ही अच्छी शिक्षा के अवसर प्राप्त करने का प्रावधान है. राष्ट्रपति मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां दिव्यांगजनों के हित के लिए कई कदम उठाए गए हैं. यही नहीं, राष्ट्रपति भवन परिसर का एक कैफे भी दिव्यांगजनों द्वारा चलाया जाता है.

इसके साथ ही, राष्ट्रपति ने बताया कि इसी साल मार्च महीने में दिव्यांगजनों की प्रतिभा, उपलब्धियों का उत्सव मनाने के लिए राष्ट्रपति भवन के अमृत उद्यान में पर्पल फेस्ट का आयोजन किया गया था. इसका मकसद था कि विभिन्न विकलांगताओं और उससे लोगों के जीवन में पड़ने वाले असर के बारे में जागरुकता फैलाना और दिव्यांगजनों को हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करना.

राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि, उन्हें देखकर बहुत प्रसन्नता हुई कि इस संस्थान के बच्चे संगीत, नृत्य, खेल, गणित, साइंस, कंप्यूटर जैसे क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. उन्होंने विश्वास जताया कि ये संस्थान पूरे देश का गौरव बनेगा.

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